दुख किसका बड़ा है, या दुर्घटना से प्रभावित लोगों का? रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के ट्वीटर हैंडल पर आप जाकर देखिए, कि वे घटना स्थल से किस तरह के वीडियो ट्वीट कर रहे हैं। फिर आई टी सेल और उनकी पार्टी के लोगों के ट्वीट देखिए कि रेल मंत्री की महानता को कैसे बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है। हमारा सवाल है कि क्या इस वक्त ये चिंता होनी चाहिए कि रेल मंत्री की महानता में कमी आ गई है, उसे फिर से बड़ा करना है या जिनके घर बर्बाद हो गए, उनके परिवारों को सांत्वना देना है। क्या यह सांत्वना मुआवज़े की राशि के एलान के साथ ख़त्म हो जाती है? हम ऐसा भी नहीं कह रहे हैं कि पीड़ियों का ध्यान नहीं रखा जा रहा होगा लेकिन ट्विटर हैंडल पर मंत्री जी क्या ट्वीट कर रहे हैं उसे देखने पर पता चलता है कि सारा ज़ोर इसी पर है कि मंत्री जी महान हैं। मंत्री जी दिन रात काम करते हैं। जैसा सारे लोगों के दुखों से वही गुज़र रहे हैं। एक तरह से इस दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिवारों का दुख कहीं नहीं दिखता, उनके बदले मंत्री जी का रात भर पटरी के किनारे बैठकर काम करने का संघर्ष दिख रहा है। ताकि लोग उनसे सहानुभूति रखें कि इतना काम करने वाला मंत्री मिला है। इसे मीडिया के ज़रिए इमेज मैनेजमेंट कहते हैं।
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