हम मौके की संवेदनशीलता को समझते हैं लेकिन आज राहत बचाव कार्य के नाम पर रेल मंत्री सवालों से नहीं बच सकते हैं। ओडिशा के बालासोर में हुई रेल दुर्घटनाओं से पूरा देश स्तब्ध है। दो यात्री गाड़ी और एक मालगाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण 270 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और घायलों की संख्या 900 से अधिक है। इनमें से कई गंभीर रुप से घायल हैं। कहा जा रहा है कि यह दुर्घटना भारत की रेल दुर्घटनाओं के इतिहास की भयंकर दुर्घटनाओं में से एक हो सकती है। आज के दिन यह सवाल भी पूछना चाहिए कि क्या आप जानते हैं कि रेलवे के भीतर क्या हो रहा है? दुर्घटनाओं को रोका नहीं जा सकता है मगर छवि चमकाने में सारा सिस्टम लगा है, इसे तो देखा ही जा सकता है। दुर्घटना क्यों हुई, रेलवे की हालत क्यों खराब है इन सवालों से परिजनों को राहत ही मिलेगी कि कोई पत्रकार रेल मंत्री से जवाबदेही के सवाल कर रहा है। राहत और बचाव कार्य रेल मंत्रालय के अधिकारी और कर्मचारी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री का दौरा हो या रेल मंत्री का ही दौरा हो, इसके बहाने वे सवालों से नहीं बच सकते हैं। क्योंकि फिर मौका नहीं मिलेगा और हम रेलवे के भीतर की हालत को समझने का मौका गंवा देंगे।
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